ईमपीरई टीम
यह पैनल चर्चा विशेषकर भारतीय गाँवों में कोविड की दूसरी लहर के मद्देनज़र विभिन्न पेशेवरों के सामना करने के अनुभवों से संबद्ध था, जो की “प्रभाव एवं नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली” के सेंटर फॉर हैबिटेट, अर्बन एंड रीजनल स्ट्डिज (CHURS) द्वारा 15 मई , 2021 को आयोजित की गयी। यह संस्थान द्वारा देश के सम्पूर्ण राज्यों के लिए आयोजित की जा रही “पैनल चर्चा” की एक अन्य कड़ी ही थी बिहार और झारखंड, जिसका केन्द्रीय बिन्दु -उत्तर भारत के दो महत्वपूर्ण राज्यों: बिहार एवं झारखंड की ग्रामीण वास्तविकता रहा।
इस कार्यक्रम की शुरुआत “प्रभाव एवं नीति अनुसंधान संस्थान” की रीतिका गुप्ता( सहायक निदेशिका) ने किया। साथ ही, डॉ सिमी मेहता ने इस पैनल चर्चा की पृष्ठभूमि तैयार करते हुए सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए बताया कि इस का लक्ष्य एक उचित विचार- विमर्श प्रस्तुत कर यह पता लगाना है कि वर्तमान में उपरोक्त वर्णित राज्यों में कोविड की दूसरी लहर की वस्तु- स्थिति क्या है एवं इस संबंध में विभिन्न हितधारकों द्वारा जमीनी स्तर पर क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
इनके अलावे, डॉ नलिन भारती(एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईटी, पटना) ने इस मंच में मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए संचालन का कार्यभार लिया । अन्य प्रख्यात एवं गणमान्य पैनलिस्ट में शामिल थे- डॉ कुशवाहा शशि भूषण मेहता (विधायक- पंखी निर्वाचन क्षेत्र, झारखंड), डॉ अनामिका प्रियदर्शिनी(लीड रिसर्च (बिहार), सेंटर फॉर कैटालीज़िंग चेंज), डॉ गुरजीत सिंह (राज्य समन्वयक,सामाजिक अंकेक्षण इकाई, झारखंड), स्मिता सिंह (इंटरनेशनल हैल्थ प्रमोशन, डॉक्टोरल रिसर्चर, आईआईटी-पटना), उर्मिला कुमारी (एएनएम, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अदाल्हातु, सदर, राँची), डॉ शरद कुमारी (स्टेट प्रोग्राम मैनेजर , एक्शन ऐड एसोसिएशन, बिहार एंड झारखंड) एवं श्रीमती दीपिका सिंह पांडे (विधायक- महागमा निर्वाचन क्षेत्र, झारखंड) आदि।
दूसरी लहर में ग्रामीण इलाक़े प्रभावित हुए
डॉ नलिन भारती ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि कैसे वैश्विक महामारी- कोविड की एकाएक दूसरी लहर ने अपना भयंकर रूप दिखाते हुए मानव सभ्यता के विभिन्न पहलुओं को बुरी तरह से प्रभावित किया है। ज्ञातव्य है की इस महामारी के पहले दौर एवं लॉकडाउन में मुख्य तौर पर प्रवासी श्रमिकों एवं रोजगार आदि की समस्या देखी गयी।
परंतु, यह लहर कई मायनों में कोविड पहली लहर से अलग ही है, इस क्रम में देश के ग्रामीण इलाके नए एवं बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। अतः अध्ययनों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस महामारी के पहले औए दूसरे लहर की प्रकृति एवं परिणाम में बहुत अंतर है।
जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश की अधिकांश आबादी आज भी गाँवों में रहती है, बिहार राज्य की तो 94% ग्रामीण जनसंख्या ही है, जिनके पास कोविड की विभीषिका से राहत पाने हेतु पर्याप्त संसाधनों का सर्वथा अभाव ही है।
वर्तमान में इनके समक्ष विशेषत: स्वास्थ्य संबंधी आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियां हैं। कैसे इस ग्रामीण आबादी को बड़े पैमाने पर हो बढ़ रहे संक्रमण और मृत्यु से सुरक्षा दिलाकर उनके स्वास्थ्य एवं जीविकोपार्जन को सुनिश्चित कर इस अनिश्चितता की घड़ी में मानसिक एवं आर्थिक बल प्रदान किया जाए। अंत में, डॉ भारती ने उपरोक्त वर्णित विषयों पर ही अन्य पैनलिस्टों को अपना मत रखने के लिए ज़ोर देते हुए अपनी बात समाप्त की।